3 सितम्बर जन्माष्टमी की रात बना “लक्ष्मीयोग” तुलसी के पत्ते इस जगह, माता लक्ष्मी करेंगी मालामाल
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसलिए इस त्यौहार को कृष्ण जनमाष्टमी के नाम से जाता है।
इस बार यह त्यौहार 2 सितम्बर (रविवार) से प्रारंभ हो रहा है जो कि अगले दिन 3 सितंबर तक चलेगा।
गृहस्थों को पूर्वोक्त द्वादशाक्षर मंत्र से दूसरे दिन प्रात: हवन करके व्रत का पारण करना चाहिए। जिन भी लोगो को संतान न हो, वंश वृद्धि न हो, पितृ दोष से पीड़ित हो, जन्मकुंडली में कई सारे दुर्गुण, दुर्योग हो, शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाले को एक सुयोग्य,संस्कारी,दिव्य संतान की प्राप्ति होती है, कुंडली के सारे दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाते है और उनके पितरो को नारायण स्वयं अपने हाथो से जल दे के मुक्तिधाम प्रदान करते है। जिन परिवारों में कलह-क्लेश के कारण अशांति का वातावरण हो, वहां घर के लोग जन्माष्टमी का व्रत करने के साथ निम्न किसी भी मंत्र का अधिकाधिक जप करें-
ऊॅ नमो नारायणाय
ऊॅ नमों भगवते वासुदेवाय
ऊॅ श्री कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत: क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नम:॥
अथवा
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवाय
गोविन्द, गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवाय
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